is zamane ke log
खिसक गया जो चांद अपनी जगह से
मायूसिया जमाने की फिर भी कहां जायेगी
रफ्तार तेज हो गयी जाने की
जुदाई पास आ गई जमाने की
किन आंखो से देखे अब दुनिया को
आसूं इतने निकले कि सवाल कर रहे आंसू भी आखों से
एक समय चंचल मस्कान सिरहाने खेला करती थी
अब उम्मीद नही बंजर सपनों की दुनिया से भी
हर ओर नापती आंखे घूम रही अपनी दुनिया खुद सें छुट रही
जाने क्या क्या राग अलापे जुदाई जमाने से फिर भी छुट न पाय
वक्त से आगे भागे दुनिया वक्त की मुठठी खोले दुनिया
मेहरबां खुद को समझ ऊँचा बन कर खुद से अकडे
अलविदा कहने से लेकिन कहां रूक पायी है दुनिया
लोग कहां से आये कहां गये किसे पता
अपनी हस्ती के जाम छलका रहे यही सभी को पता
रात की मस्ती मेहमां की हस्ती बनी जमाने की खास ये रस्में
कही दीवाने की सुरत है फिरती कही से लाल गुलाब की खुशबू है निकलती
कही बजे ठहाको के है डंके कही उडी नारियों की है तितलियां
हर ओर बज रहे सायरन से गाने कि सब ओर निकल रही जाम लिये महफिले
जाग के सारी रात हल्ला युं मचाया कि पूरा मोहल्ला सो न पाया
रफतार तेज हो गयी जाने की
जुदाई पास आ गई जमाने की
छोड के सब कुछ ऐ मन बस जा तु अपने में
कोई न होगा तेरा अपना है बसे सब अपने में
बेजार सहारे जिनके है आस न कर कोई उनसे तू
मतलब के है लोग यहा बंधे है सब बस अपने से
एक मदद की जो तुम्हारी गायेंगे सब से बारी बारी
एक हाथ मिला जो तुमसे दुजा हाथ दूर न होगा ज्यादा तुमसें
रफतार तेज हो गयी जाने की
जुदाई पास आ गई जमाने की
Comments
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.